स्वामी रामदेव के साथ हजारों लोगों ने किया योग, जाने योगासन के फायदे

स्वामी रामदेव के साथ हजारों लोगों ने किया योग, जाने योगासन के फायदे


देवरिया के चीनी मिल ग्राउंड पर आयोजित देवरिया महोत्सव में सोमवार की सुबह हजारों लोगों ने स्वामी रामदेव के साथ योग किया। योगासनों के अभ्यास के साथ-साथ शरीर को मिलने वाले फायदे भी रामदेव ने बताए। करीब 2 घंटे तक चले योग शिविर में जाते-जाते लोगों को स्वदेशी अपनाने का मूल मंत्र भी देते गये।


सुबह ठीक 5:00 बजे योग गुरु स्वामी रामदेव महोत्सव के मंच पर पहुंच गए। उन्होंने योग शिविर की शुरुआत ॐ और गायत्री मंत्र के साथ किया। स्वामी ने सबसे पहले सूक्ष्म व्यायाम कराया। फिर एक-एक कर  भस्त्रिका, उद्गीत, कपालभातिं अनुलोम विलोम, उज्जायी आदि प्राणायाम का अभ्यास कराया और इसके लाभ बताएं। इसके बाद एक दर्जन से अधिक आसनों का अभ्यास कराया। मंडूकासन, शीर्षासन, मयूरासन, हलासन वक्रासन आदि अनेक आसन कराए। अंत में  लोगों से स्वदेशी उत्पादों को अपनाने की अपील की। 


उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियों के माध्यम से हर साल देश से 58 लाख करोड़ रूपए देश से बाहर चले जाते हैं। योग शिविर में जिलाधिकारी अमित किशोर, पुलिस अधीक्षक डा श्रीपति मिश्र, भाजपा जिलाध्यक्ष अंतर्यामी सिंह मुख्य विकास अधिकारी शिवशरणप्पा जीएन, एसडीएम सदर दिनेश मिश्र, सीओ सदर निष्ठा उपाध्याय, शिव सलेमपुर वरुण मिश्र आदि मौजूद रहे।


सीएए पर अराजकता फैला रहे कुछ दल:स्वामी रामदेव
पत्रकारों से बातचीत में रामदेव सीएए पर बोले। उन्होंने कहाकि भ्रम फैलाकर कुछ राजनीतिक दल देश में अराजकता फैला रहे हैं। यह देश किसी पार्टी विशेष का या केवल मोदी, योगी और अमित शाह का नहीं है। यह देश तो सबका है। देश में हिंसा फैलाना, आग लगाना, देश के टुकड़े-टुकड़े करना और विभाजन की बात करना इसके साथ गद्दारी है द्रोह है, बगावत है।


उन्होंने कहा कि यह किसी जिम्मेदार पार्टी को शोभा नहीं देता। मैं इस बात को मानता हूं कि सब मुसलमान इस हिंसा, आगजनी और विध्वंस में सम्मिलित नहीं है। देश में करोड़ों देशभक्त मुसलमान इससे दुखी हैं। इस घटना से इस्लाम और मुसलमान बदनाम भी हो रहा है। देश के सब जिम्मेदार लोगों को मिलकर इसको ठीक करना चाहिए क्योंकि इससे पूरी दुनिया में भारत की बदनामी हो रही है। सोमवार से शुरू हो रही 5 दिवसीय गंगा यात्रा के उद्देश्य पर पूछे गए सवाल के जवाब में स्वामी रामदेव ने कहा की गंगा हमारी आस्था का केंद्र है। हम नदियों को मां का दर्जा देते हैं।


इसमें हम आज स्नान करते हैं। महत्वपूर्ण पर्व पर इसमें स्नान करके मनाते हैं। इसको स्वच्छ रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। दूसरे देशों में नदियां आस्था का प्रतीक नहीं है फिर भी वहां नदियों को साफ रखा जाता है