दर्द से कराह रही किशोरी मांग रही थी जहर का इंजेक्शन

दर्द से कराह रही किशोरी मांग रही थी जहर का इंजेक्शन


गोरखपुर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में बुधवार को दर्द से तड़पती किशोरी की कराह सुनकर स्वास्थ्यकर्मी असहज हो गए थे। किशोरी इलाज नहीं कराना चाह रही थी। वह बार-बार जहर का इंजेक्शन मांग रही थी। केवल यही मिन्नतें कर रही थी कि डाक्टर उसे जहर का इंजेक्शन लगा दें।


जख्मी किशोरी को अस्पताल पहुंचाने वाले आरपीएफ के महिला-पुरुष कांसटेबलों की आखें भर आईं थीं। यूं तो दोनों कांस्टेबलों ने किशोरी को लावारिस हाल अस्पताल पहुंचाया था लेकिन कुछ ही देर में उसके माता-पिता पहुंच गए। उसे रेफर कराकर मेडिकल कालेज ले गए।


बिहार के पूर्वी चम्पारण जिले  के मलाही थाना क्षेत्र स्थित सरया गांव के मठिया टोला निवासिनी कलामुनीषा पुत्री शहादत हुसैन मानसिक रूप से बीमार थी। मंगलवार को किशोरी का इलाज कराने के लिए उसके माता-पिता उसे लेकर गोरखपुर आए थे। रात में वे रेलवे स्टेशन पर रुक गए। बुधवार की सुबह उन्होंने किशोरी को शहर के एक प्रतिष्ठित मानसिक रोग विशेषज्ञ को दिखाया। डाक्टर को दिखाने के बाद बेटी को साथ लेकर दम्पति बिहार जाने लगे। तीनों रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। किशोरी के पास उसकी मां बैठी थी जबकि पिता टिकट लेने चले गए। इसी बीच किशोरी वहां से गायब हो गई।


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किशोरी को उसकी मां प्लेटफार्म पर तलाशने लगी। इसी बीच उसके पिता भी टिकट लेकर पहुंच गए। पति-पत्नी ने काफी देर तक बेटी को तलाश लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। उधर किशोरी न जाने कैसे प्लेटफार्म नम्बर दो के सामने ट्रेन की चपेट में आ गई। उसकी एक बाह कंधे से झूल गई और उसे दूसरे हाथ का पंजा कट गया। यात्रियों की सूचना पर आरपीएफ के जवान पहुंचे और उसे तत्काल जिला अस्पताल पहुंचाया। इधर, दम्पति जब आरपीएफ पोस्ट पर पहुंचे तो उन्हें एक किशोरी के घायल होने की जानकारी मिली। पति-पत्नी दोनों भागकर जिला अस्पताल पहुंचे तो बेटी को तड़पते देखा।


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डेढ़ घंटे देर से पहुंची एम्बुलेंस
जिला अस्पताल में किशोरी का प्राथमिक इलाज कर रहे चीफ फार्मासिस्ट ने तकरीबन एक बजे खुद एम्बुलेंस के लिए 108 नम्बर पर फोन किया। बताया कि इमरजेंसी की ओटी में एक किशोरी आई है जिसे मेडिकल कालेज पहुंचाना जरूरी है। किशोरी लावारिस है। उसके साथ कोई मौजूद नहीं है। दूसरी तरफ से बताया गया कि वह इंतजार करें, थोड़ी देर में एम्बुलेंस पहुंच जाएगी। डाक्टर और स्वास्थ्यकर्मी तकरीबन 1:30 घंटे तक इंतजार करते रहे। इस दौरान 10 से अधिक बार उन्होंने फोन किया। आरपीएफ के दोनों कांस्टेबलों ने भी कई बार फोन किया। तकरीबन 2:35 बजे एम्बुलेंस पहुंची तब तक किशोरी के माता-पिता भी पहुंच गए थे। किशोरी को एम्बुलेंस से मेडिकल कालेज ले जाया गया।


बेटी को देखते ही बेहोश हो गई मां
किशोरी को डाक्टरों ने एम्बुलेंस में लिटा दिया था। चालक अभी एम्बुलेंस स्टार्ट करता इसी बीच किशोरी के माता-पिता पैदल ही दौड़ते हुए वहां पहुंच गए। एम्बुलेंस में बेटी की हालत देखकर वह बेहोश हो गई। पति ने मुंह पर पानी का छींटा मारा तो उसे होश आया। पति-पत्नी दोनों एम्बुलेंस में लिटाई गई बेटी को लेकर मेडिकल कालेज चले गए।