लॉकडाउन: PM मोदी की अपील, 21 दिनों तक प्रतिदिन 9 गरीब परिवारों की करें मदद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना का जवाब करुणा से देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि समर्थवान लोग अगले 21 दिनों तक प्रतिदिन नौ गरीबों की मदद करने का प्रण लें तो नवरात्र अच्छा हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बातें लॉकडाउन के कारण गरीबों के सामने आईं मुश्किलों के सवाल पर कहीं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति करुणा दिखाकर भी कोरोना को पराजित करने का एक कदम उठा सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसदीय क्षेत्र वाराणसी की जनता को वीडियो कांफ्रेंसिंग से शाम पांच बजे संबोधित करते हुए कहा कि अभी नवरात्र शुरू हुआ है। अगर हम अगले 21 दिन तक, 9 गरीब परिवारों की मदद करने का प्रण लें, तो इससे बड़ी आराधना मां की क्या होगी। इसके अलावा आपके आसपास जो पशु हैं, उनकी भी चिंता करनी है। मेरी लोगों से प्रार्थना है कि अपने आस-पास के पशुओं का भी ध्यान रखें।
फिलहाल की मुश्किलों की उम्र मात्र 21 दिन
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'जो तकलीफें आज हम उठा रहे हैं, जो मुश्किल आज हो रही है, उसकी उम्र फिलहाल 21 दिन ही है। लेकिन कोरोना का संकट समाप्त नहीं हुआ, इसका फैलना नहीं रुका तो कितना ज्यादा नुकसान हो सकता है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है।' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'ऐसे में जब देश के सामने इतना बड़ा संकट हो, पूरे विश्व के सामने इतनी बड़ी चुनौती हो, तब मुश्किलें नहीं आएंगी, सब कुछ अच्छा होगा, ये कहना अपने साथ धोखा करने जैसा होगा। अगर मैं कहूं कि सब कुछ ठीक है, सब कुछ सही है, तो मैं मानता हूं कि ये खुद को भी धोखा देने वाली बात होगी।'
जीवन आशा और विश्वास से चलता है
प्रधानमंत्री ने कहा कि अस्पतालों में लोग 18-18 घंटे काम कर रहे हैं। कई जगह अस्पतालो में, हेल्थ सेक्टर से जुड़े लोगों को 2-3 घंटे से ज्यादा सोने को नहीं मिल रहा। कितने ही सिविल सोसायटी के लोग हैं जो गरीबों की मदद के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। उन्होंने कहा कि निराशा फैलाने के लिए हजारों कारण हो सकते हैं लेकिन जीवन तो आशा और विश्वास से ही चलता है। नागरिक के नाते कानून और प्रशासन को जितना ज्यादा सहयोग करेंगे, उतने ही बेहतर नतीजे निकलेंगे।
21 दिन में यह लड़ाई जीतने की कोशिश
उन्होंने कहा कि हम 21 दिन में कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई को जीतने की कोशिश करेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि महाभारत जैसा युद्ध 18 दिनों में खत्म हो गया था। पीएम मोदी ने कहा कि महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण महारथी, सारथी थें, आज 130 करोड़ महारथियों के बलबूते पर हमें कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई को जीतना है। इसमें काशीवासियों की बहुत बड़ी भूमिका है।
काशी का अर्थ ही शिव यानी कल्याण
पीएम मोदी ने कहा कि काशी का सांसद होने के नाते मुझे ऐसे समय में आपके बीच होना चाहिए था। लेकिन आप यहां दिल्ली में जो गतिविधियां हो रही हैं, उससे भी परिचित हैं। यहां की व्यस्तता के बावजूद मैं वाराणसी के बारे में निरंतर अपने साथियों से अपडेट ले रहा हूं। उन्होंने कहा कि कोरोना की इस लड़ाई में काशी के लोगों की बड़ी भूमिका है। काशी ज्ञान की खान है। संकट की इस घड़ी में काशी सबके लिए उदाहरण प्रस्तुत कर सकती है। आज लाकडॉउन की परिस्थिति में देश को संयम, समन्वय, साधना, सेवा और समाधान काशी देश को सीखा सकती है। काशी का अर्थ ही शिव यानी कल्याण है।
कोरोना से लाखों लोग हुए ठीक
पीएम मोदी ने कहा कि लोग कई बार जानते हुए भी सावधानी नहीं बरतते हैं। नागरिक के रूप में अपने ध्यान देना चाहिए। हमें घर में रहना चाहिए। कोरोना जैसी बीमारी से बचने का यही एक मात्र उपाय है। आप ये भी ध्यान रखिए कोरोना से संक्रमित दुनिया में एक लाख से अधिक लोग ठीक भी हो चुके हैं। भारत में भी दर्जनों लोग कोरोने से बाहर निकले हैं।
इनसे हुआ संवाद
1. प्रो. कृष्णकांत वाजपेयी
सवाल : हमारे यहां लोगों को लगता है कि हमारा खानपान, रहन-सहन इस प्रकार है कि हमें कोरोना का संक्रमण नहीं हो सकता है?
जवाब : मनुष्य का स्वभाव है कि जो चीज उसे सूट करती है वह वही करता है। बीमारी किसी से भेदभाव नहीं करती। अमीर और गरीब सब पर कहर बरपाती है। सिगरेट पीने वाला जानता है कि सिगरेट पीने से कैंसर होता है। फिर भी सिगरेट पीते हैं। नागरिक के नाते सबको अपना कर्तव्य करते रहना चाहिए। सोशल डिस्टेंस जरूरी है।
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2. डॉ. मोहिनी झंवर, सामाजिक कार्यकर्ता
सवाल : कुछ लोग डाक्टरों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं?
जवाब : जो ऐसा कर रहे हैं, उन्हें समझाना चाहिए। अस्पतालों में जो लोग सफेद कपड़े में दिख रहे हैं, वे ईश्वर के रूप हैं। ये हमारा दायित्व है कि जो देश की सेवा कर रहे हैं, उनका सम्मान होना चाहिए। अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स 18-18 घंटे काम कर रहे हैं। इनके पास खाने का समय नहीं है। सोने के लिए मुश्किल से 2-3 घंटे मिल रहे हैं। ऐसा नहीं है कि लोगों में मानवीय संवेदना नहीं है। 22 मार्च को शाम पांच देश के कर्मवीरों के प्रति अपना कर्तव्य समझ कर काशीवासियों के साथ पूरे देश की जनता ने ताली, थाली, घंटी, बजाई थी।
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3. अखिलेश खेमका, कपड़ा व्यवसायी
सवाल : संकट की इस घड़ी में असहाय व गरीब लोगों की किस तरह मदद कर सकते हैं?
जवाब: कोरोना को हराने में करुणा मददगार साबित होगी। हम गरीबों के प्रति करुणा दिखा सकते हैं। हम इस बात को मानने वाले लोग हैं कि मनुष्य में ईश्वर का वास है। 21 दिनों के लाकडाउन अवधि में जिसके पास शक्ति है, सामर्थ्य है, वह प्रतिदिन नौ गरीबों की मदद का संकल्प ले। साथ ही हमें अपने आसपास के पशुओं की भी चिंता करनी है। संकट के समय हमारी संवेदनाए जागृत हो जाती हैं। निराशा फैलाने के हजारों कारण हो सकते हैं लेकिन जीवन तो आशा और विश्वास से ही चलता है।
4. प्रो. गोपाल नाथ, प्रभारी, कोरोना डायग्नोसिस लैब-बीएचयू
सवाल: कुछ लोग खुद से ही अपनी बीमारी का इलाज कर लेते हैं। इनके लिए क्या करना चाहिए ?
जवाब: हमें ऐसा करने से बचना चाहिए। बिना डाक्टर की सलाह के किसी भी दवा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कोरोना की बीमारी से बचने के लिए बाजार में अब तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है। इस पर पूरे विश्व में अनुसंधान चल रहा है। हमें अंधविश्वास से बचना चाहिए।
5. अंकिता खत्री, गृहिणी
सवाल: 21 दिनों के लॉकडाउन अवधि में बच्चों को घर पर संभालना कठिन हो रहा है, इस पर मार्गदर्शन करें ?
जवाब : आपदा को अवसर में बदलना ही मानव जीवन की कला है। सोशल मीडिया के जरिए लोग बच्चों के साथ रचनात्मक कार्य कर रहे हैं। जब मैंने स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी, तब बाल सेना ने इसकी कमान संभाल रखी थी। मुझे देखने को मिलता है कि छोटे छोटे बच्चे कोरोना से बचने के लिए नए-नए वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहे हैं।